poems
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छाया सन्नाटा ,
बिलखतें लोग ,
खून से सनी लाशें ,
झुलसतें शहर,
कैसा हैं आतंक |
नफ़रत सें भरी दुनिया ,
इन्शानो क़ि बदलती फिदरत ,
न रब से डर,
न दिल में रहम,
कैसा हैं आतंक |
किसी क़ि आँखों में समुंदर भरा ,
कोइ चैन क़ि नींद सोया ,
चारो और लाशो क़ी ढेर ,
देश बिगड़ा सहमें लोग ,
कैसा हैं आतंक |
सहमी हैं दुनिया ,
परिजनों कें आने से पहलें,
देश दुनिया क़ी खबरे सुननें तक ,
कही कोई अपना तो नहीं ,
कैसा हैं आतंक |
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